आज हर सब यहां एक ऐसे सपने को साकार होते देखनैठ, जिसा नार है Saiyara .
Saiyara केवल एक फिल्म नहीं है, यह एक भावना है। एक सफर है — आत्म-खोज का, हिम्मत का, और अपने सपनों के पीछे भागने का। यह फिल्म उस हर व्यक्ति की कहानी है जो अपने हालात से लड़ते हुए अपने सपनों को जीना चाहता है। ये फिल्म एक आवाज़ है — उन सबकी जो समाज की बंदिशों में बंधकर खामोश हो गए हैं।
” Saiyara” का मतलब है — एक मुसाफिर, एक यात्री। और यही है हमारी नायिका की पहचान। एक ऐसी लड़की जो सिर्फ ज़िंदगी जीना नहीं चाहती, बल्कि उसे अपनी शर्तों पर जीना चाहती है।
इस फिल्म की कहानी उन तमाम युवाओं को समर्पित है जो छोटे शहरों से आते हैं, जिनकी आँखों में बड़े सपने होते हैं, लेकिन रास्ते में समाज, डर, परंपराएं और सीमाएं खड़ी होती हैं। सैयारा की कहानी उन्हीं दीवारों को तोड़ने की कोशिश है।
इस फिल्म के पीछे एक सोच थी — कि कहानियां सिर्फ मनोरंजन का माध्यम नहीं होतीं, वे समाज को दिशा देने का भी काम करती हैं। हमने कोशिश की है कि इस फिल्म के ज़रिए हम उन मुद्दों को उठाएं जिनके बारे में बात करना जरूरी है — जैसे:
महिला सशक्तिकरण : –
हमारी नायिका अपने सपनों को पाने के लिए जो साहस दिखाती है, वह हर उस लड़की के लिए प्रेरणा है जो खुद को दुनिया के सामने साबित करना चाहती है।
पारिवारिक संबंधों की जटिलताएं : –
Saiyara की gurney भी दिखाती है कि परिवार का साथ और विश्वास कैसे एक इंसान को मजबूत बना सकता है या तोड़ सकता है।
समाज की सोच और बदलाव :-
यह फिल्म सवाल उठाती है — कि क्या हम वाकई आज़ाद हैं? या हम आज भी परंपराओं और मान्यताओं की जंजीरों में जकड़े हुए हैं
अब बात करें इस फिल्म की टीम की
— तो यह पूरी टीम सैयारा की तरह ही समर्पित, जुनूनी और सपनों को जीने वाली रही है।हमारे निर्देशक महोदय, जिन्होंने इस कहानी को ना केवल लिखा, बल्कि उसे पर्दे पर जीवंत किया।
हमारी लेखिका — m
जिनके शब्दों ने किरदारों में जान डाली।और
हमारी अभिनेत्री — जिन्होंने सैयारा के किरदार को इस खूबसूरती से निभाया कि हर दर्शक खुद को उस किरदार में ढूंढ पाएगा।हर कलाकार, चाहे वो लीड रोल में हो या एक छोटी सी भूमिका में — उन्होंने अपना 100% दिया है। और ये फिल्म उसी मेहनत, लगन और विश्वास का नतीजा है।
तकनीकी टीम को हम कैसे भूल सकते हैं। कैमरा वर्क,बैकग्राउंड स्कोर,एडिटिंग,लोकेशंस का चुनाव —हर एक चीज़ इस कहानी को बेहतर बनाने में मददगार रही। इन सबकी मेहनत के बिना सैयारा अधूरी होती।
अब बात करते हैं हमारे सबसे बड़े हीरो — यानी आप सब दर्शकों की।आपका साथ, आपका प्यार और आपका विश्वास ही हमें ऐसी कहानियां कहने की हिम्मत देता है। अगर आप न हों, तो मंच भी खाली होता है और सिनेमा भी।सिनेमा समाज का आईना होता है। और जब आप ऐसी कहानियों को समर्थन देते हैं, तो आप बदलाव के भागीदार बनते हैं।
Saiyara आपको एक भावनात्मक यात्रा पर ले जाती है।यह आपको रुलाएगी,आपको हंसाएगी,सोचने पर मजबूर करेगी,और अंत में, आपको अपने भीतर झांकने पर विवश करेगी।क्योंकि हर किसी के भीतर एक “सैयारा” होती है —
जो उड़ना चाहती है, जो खुद को ढूंढना चाहती है, और जो इस जीवन को पूरी शिद्दत से जीना चाहती है।
अंत में, मैं यही कहना चाहूंगा कि ” saiyara ” कोई एक फिल्म नहीं है, यह एक आंदोलन है।यह movement है हिम्मत का,यह celebration है सपनों का,और यह dedication है हर उस इंसान को, जिसने कभी हार नहीं मानी।
आप सब से अनुरोध है कि इस फिल्म को देखें, इसे महसूस करें, और इसकी बातों को आगे बढ़ाएं।क्योंकि अगर हम एक सैयारा की उड़ान को सलाम करेंगे — तो कल को सैकड़ों और लड़कियां आसमान छूने की हिम्मत करेंगी।
धन्यवाद! जय हिंद।
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